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उड़ता रंग गुलाल

Udta Rang Gulal

होली भारतीयों  का एक प्रमुख त्यौहार इसके पीछे कहानियां तो बहुत है पर सभी कहानियॉं हमें एक ही पाठ पढ़ाती है 
पवित्र प्रेम का जैसे राधा कृष्णा का प्रेम और मित्रता का तथा जीवन में आगे बढ़ने का अपनी मंज़िल को पाने का यानि मंज़िल के अरमान  को हृदय में साजो के रखने का, कभी हार न मानने का, और सभी के साथ गिले -शिकवे मिटाने का, यही सब सिखाता है हमें होली का यह पवित्र त्यौहार
 इसलिए इस पावन अवसर पर एक बहुत ही खूबसूरत कविता इसे आप किसी भी रूप में देख सकते है चाहे प्रेरणादायक कविता (Motivational Poem) या फिर प्रेम कविता (Love Poem) क्यूकि इन  दोनों प्रारूप में इस त्यौहार को देखा गया है
 इस त्यौहार पर वैसे तो बहुत कहानियॉं है पर जिन प्रारूप का मैंने जिक्र किया है उसके ऊपर दोनों कहानियॉं बिलकुल सटीक बैठती है
 एक प्रेरणादायक (Motivational) भक्त प्रह्लाद की कहानी जो आग में बैठी अपनी बुआ की गोद में जाकर बैठ गया क्यूकि उसे खुद की तपस्या पर बिश्वास था की ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे और वैसा ही हुआ
 इसलिए जो खुद पर बिश्वास करते है और अपनेआप को प्रेरित (Motivate) करते है ईश्वर उनका हमेशा साथ देते है   
और दूसरी कहानी हमें बरसाने में ले जाती है जहाँ कृष्णा राधा के साथ रास रचा रहे है यह एक अनूठे प्रेम का अद्भुत उदाहरण है  
 और ऐसी रास की कल्पना कर-कर के जाने कितने कवियोँ ने प्रेम रुपी कवितायेँ (Love Poem) लिख डाली है    
उसी कड़ी में मैंने भी प्रयास किया है 
 आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है एक बहुत ही प्रेममयी कविता (Love Poem) और सकारात्मकता से भरपूर कविता (Positive Poem ) जो आप को मंत्र-मुग्ध कर देगी और एक ऐसी सुबह की और ले जाएगी 
 जहाँ केवल रंग-गुलाल, प्रेम, मित्रता, भाईचारा, और खुशियां हो तो पढ़िए मेरे साथ एक बहुत ही सुखद एहसास दिलाने वाली कविता   

नमस्कार मैं निधि श्रीवास्तव आप सभी को होली के इस पवन पर्व की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ देती हूँ फागुन मासके आगमन पर होने वाले परिवर्तन और होली के उत्साह को मैंने अपनी कविता के रूप में व्यक्त किया है जिसमे रंग की पिचकारी लेकर और ग़ुलाल भरे हाथों से हम सभी अपने मन के घावों को भुलाकर होली की मस्ती में मस्त हो जाते है प्रकति भी अपना एक अनोखा सौंदर्य दिखती है पलाश के फूल, सुबह और शाम में सजी रंगों की सौम्यता, आम के पेड़ो पर लहलहाते बौर और कोयल का मधुर संगीत ये सब हमें उल्लासित होने को उत्साहित करते है
  

उड़ता रंग गुलाल

माथे गुलाल का टीका हो

 हाथों में रंग की पिचकारी 


 सब बैर भुलाकर आपस के 

होली खेले दुनिया सारी 

धरती के आँचल में फैली

 महके सरसों पीली-सी 

अंबर ने भी चादर ओढ़ी

अपने तन पर नीली-सी 

दुनिया की रंगीनी का तो

 है सब के ऊपर रंग चढ़ा 

होली की मस्ती में डूबो

 लाल लाल-हो हर मुखड़ा 

महक रहे हैं महुआ-टेसू

सिंदूरी रंग बिखेरे 

कुंकुमी रंग में शाम सजी है 

हल्दी से हुए सबेरे 

 वृक्षों पर भी रंग चढ़ा है

 पके आम के बौर 

 मीठी कोयल गाती रहती 

ख़ुशी का न कोई छोर 

 मंद पवन मोहक सा बहता 

लिए हुए पैगाम 

 आओ हम तुम होली खेले

 छोड़े सारे काम 

 मन से सारे द्वेष मिटा दो

 मस्त रहो हर हाल 

सब मिल झूमो होली आई 

उड़ता रंग गुलाल 

सब मिल झूमो होली आई 

उड़ता रंग गुलाल।।


रचयिता V.Nidhi   

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