भुलाया नहीं जा रहा
एक झिलमिलाता रोशन चिराग बुझाया नहीं जा रहा
उनकी आँखों की मस्ती का असर हुआ कुछ इस कदर
बिन पिए ये नशा हमसे उतारा नहीं जा रहा
उनके भवँर पड़े गालों ने दिल को कुछ यूँ बाँध लिया
उन गालों की नरमी का ख्याल सजाया नहीं जा रहा
उनके शरबती लबों की बात न हमसे कीजिये
उस गुलाब की पंखुड़ी का अरमान भुलाया नहीं जा रहा
उसकी एक छुअन को अब तक तरस रहे है हम
उसके शरमाने का वो अंदाज गवाँया नहीं जा रहा
उनकी साँसों की गर्मी में बसता हुआ वो अपनापन
अब इस अकेलेपन का दर्द सहा नहीं जा रहा
शहद की तरह मीठे कुछ उसके लफ्ज़ तीखे
लफ़्ज़ों की आरज़ू का अरमान संभाला नहीं जा रहा
उनकी वो बैचेन नज़रे ढूढ़ रही थी बस हमें
उस शरारत में बसा वो इकरार हमसे ठुकराया नहीं जा रहा..
रचियता V.Nidhi
1 टिप्पणियाँ
💯
जवाब देंहटाएंThanks for comment