मुझसे तो शिकायत करते हो, कभी खुद भी इज़हार कर लेना
मेरी छुपी मोहब्बत से कभी तुम भी इकरार कर लेना
अल्फाज़ की कमी हो तो मुझसे बात करना
दिल की खातिर शब्दों का मुझसे उधार कर लेना
बना सके कोई रिश्ता गर शब्द मेरे
मेरे पास आकर फिर मुझसे हिसाब कर लेना
गर देखो कोई कमी तुम मेरे अल्फाज़ की ज़ुबां में
खुद आईने में रुक कर मुझसे तकरार कर लेना
जो आईना कहे की क्या हुस्न तूने पाया
उसे रूप मेरा समझ कर खुद पे गुमान कर लेना
गर आहटे हमारी दिल को सतायें हरदम
बांध के वो पायल तुम एक झंकार कर लेना
गर दिल की ये सदा भी तुझसे जबाब मांगे
उस प्यार के खुदा से झूठा इंकार कर लेना
गर हो सकूँ न हासिल तुझको मैं अब तलक भी
मेरे अक्स में समाकर तुम भी गुज़ार कर लेना।।
रचयिता v.nidhi
1 टिप्पणियाँ
Bhut sandar
जवाब देंहटाएंThanks for comment