कुछ तो लिख दो
आज कहना ही पड़ा उनसे, हम पर भी कोई नग़मा लिख दो
जो दिल को छू जाए मेरे, ऐसा कोई किस्सा लिख दो
कुछ नहीं तो मेरी शरारतों को समझकर, उसी का प्यार भरा गुस्सा लिख दो
पर ध्यान रखना गुस्से में लफ़्जों का
ऐसा न हो हकीकत कर दो बयाँ
तुम कागज़ पर मुझे अपना दिलेजान लिख दो
मन से ना भले तुम प्यार करो, कोई झूठा दिखावा ही कर दो
अपनों में ना सही गैरों में सही,किसी गली में मुझे बदनाम तो कर दो
बदनामी का जो दाग लगे, शायद तभी मैं संभल पाऊँ
तेरे प्यार को यदि मैं पा ना सकूँ, तो तेरी जुदाई में मर जाऊँ
अब तो कुछ ऐसी क़यामत कर दो, कि तुम उसका पूरा अंजाम लिख दो
शब्दों की यदि कमी कहीं हो, कहीं से भी कुछ उधार कर लो
जो वो भी ना कर सको अपने ही लिए, मेरे खून से ही तबाही का सामान लिख दो
मुझको तबाह करके, यदि पा जाओ अपनी हसरतों को
उस दर्दे-दिल की उल्फत को ही, अपनी ज़िंदगी का अरमान लिख दो
चलो कुछ भी न करो मेरे खातिर, बस एक हंसी एहसान कर दो
अपनी कलम से मेरी दुआओं की, अर्जियों का फरमान लिख दो
इक प्यारी सी भूल तुम भी, मेरी ख़ुशी की खातिर कर लो
कुछ लिख सको ना लिख सको तुम, बस मेरे लिए अपना इंतकाम लिख दो
रचयिता V.Nidhi
0 टिप्पणियाँ
Thanks for comment