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मोहब्बत की तड़प

 

मोहब्बत की तड़प 

                                                                                     
                                                                                  
                              समन्दर में मचलती लहरों से पूछो, किनारों से मिली जुदाई क्या है 

बादलों  में उमड़ते सावन से पूछो, बारिश बूदों की अगड़ाई क्या है 

अमावस की गहरी रात से पूछो, पूनम के चाँद की परछाई क्या है 

नवेली किसी नई दुल्हन से पूछो, कानो में बजती शहनाई क्या है 

बागों में फिरती उस राधा से पूछो, उसके प्रियवर कन्हाई क्या हैं 

खेतों  लहराती उन फसलों से पूछो, उनमें बसती पुरवाई  क्या है 

और पूछो हर उस तड़पते दिल से, प्यार में मिली बेबफाई क्या है 

जान सके यदि तुम साजिश, इन गहरी उलझी बातों की 

तभी रजामंदी तुम देना, मेरे उन जज़्बातों की 

प्यार में तेरे हम तड़पे हैं, अब हसरत नहीं तरसने की 

मेरे मन को इजाज़त देदो, तुम पर एक बार बरसने की 

शब्दों की कुछ कमी नहीं, डरती हूँ ज्यादा न कह जाऊँ 

 बात बताकर अपने मन की, मैं तुझ बिन अधूरी न रह जाऊँ



रचियता V.Nidhi    


 



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