पवित्र प्रेम
मन के मीत हुए तुम साजन,चाह नहीं कुछ और करूँ
तुझ पर वारूँ तन-मन अपना, बस मैं तो तुमसे प्यार करूँ
जीवन की अभिलाषा तुम हो,
मेरे मन की भाषा तुम हो
शब्दों में वर्णित जो
ना हो,ऐसी प्रेम-पिपासा तुम हो
प्रेममय हृदय चाहे यही
मेरा, तुम कामदेव मैं रति बनूँ
तुझ पर वारूँ जीवन अपना,
बस मैं तो तुमसे प्यार
तेरे श्वास की आस पे
जीवित,हो जाऊँ मैं पूर्ण
समर्पित
अपलक नयनों से निहारूँ,
ऐसी सुन्दर मूरत तुम हो
अंतर्मन चाहे यही मेरा,तुम चकोर मैं चाँद बनूँ
तुझ पर वारूँ जीवन अपना, बस मैं तो तुमसे प्यार
उल्लासों की आहट तुमसे,रिश्तों की जगमगाहट तुमसे
मौसम की अँगड़ाई तुम हो,सावन की पुरवाई तुमसे
मन मयूर चाहे यही मेरा,तुम सूरज मैं किरण बनूँ
तुझ पर वारूँ जीवन अपना, बस मैं तो तुमसे प्यार
फूलों की खुशबू में
रहते,मंद पवन के संग तुम बहते
हरी-भरी इस फुलवारी के,मोहक से प्रतिपालक तुम हो
मन-आसव चाहे यही मेरा,
तुम भौंरा मैं पुष्प बनूँ
तुझ पर वारूँ जीवन अपना, बस मैं तो तुमसे प्यार
जीवन की विभूति तुम हो,खुशियों की अनुभूति तुम हो
तुम संग हर दिन उत्सव
जैसा,मेरे मन की धड़कन तुम हो
रोम-रोम चाहे यही मेरा, तुम शरीर में प्राण बनूँ
तुझ पर वारूँ जीवन अपना, बस मैं तो तुमसे प्यार
रचियता V.Nidhi
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