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सरहद पे बैठा गीत गुनगुनाता हूँ

Sarhad ka Sainik


किसी भी देश की सेना उस देश का एक अभिन्न अंग होती है। हमारे देश, भारत की सेना (Indian Army) दुनिया में चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है। देश की सेना को दृढ़ता उसमे उपस्थित सैनिकों से मिलती है। 

सैनिक(soldiers), हमारे और आप की तरह एक आम इंसान ही है, उनका अपने देश के प्रति सब-कुछ न्यौछावर  कर देना, अपने प्राणों तथा अपने परिवार की चिंता छोड़ देश की रक्षा के लिए जीना ही उन्हें सामान्य से ख़ास बना देता है।



 हमारे देश भारत के भारतीय सैनिक (Indian Soldiers) वह हैजो खड़े रहते है देश की सरहद पर  ताकि हम अपने घरों में सुरक्षित रह सके। चाहे राजस्थान की 45 डिग्री की गर्मी हो या फिर लेह की -20 डिग्री की सर्दी हो, चाहे घर में कोई ख़ुशी का पल हो या दुःख का पहाड़ इन सबसे ऊपर उठकर केवल देश रक्षा को ही जीवन का परम धर्म समझते है।  

सरहद पर बैठा एक सैनिक जब शहीद होता है तो उसके साथ-साथ एक पूरा परिवार भी शहीद होता है। पिता का आशीष ,माँ की ममता ,बहन की राखी ,भाई की ताकत, पत्नी का प्यार और बेटी का बचपन सब-कुछ एक साथ शहीद हो जाता है। 

 देश की अस्मिता को बचाने  के लिए और देश में रहने वाले नागरिकों की रक्षा के लिए एक सैनिक ये सब शहादतें हँसते-हँसते देता है तथा उसका परिवार और सारा देश भी उस पर गर्व करता है। 

अगर कोई मुझसे पूछता है की भारतीय सेना में कैसे शामिल हों (How to join Indian army) तो मैं केवल एक ही बात कह पाती हूँ कि आप चाहे कोई भी परीक्षा पास कर ले लेकिन भारतीय सेना के लिए एक ख़ास बात यह है की   आपकी रगों में खून की जगह देश भक्ति बहनी चाहिए तभी आप एक भारतीय सैनिक (Indian Soldiers) बन सकते है।  
एक सैनिक की शहादत पे न कोई लेख लिखा जा सकता है, न कोई कविता क्योंकि सैनिक की शहादत अमूल्य है ।
उसके लिए सारे शब्द बहुत छोटे है, सारी व्याख्याएँ बहुत निम्न है, क्यूंकि एक सैनिक अपने लिए तथा अपने परिवार के लिए नहीं जीता है । वो जीता है, देश के लिए,देश में रहने वाले नागरिकों की रक्षा के लिए । 

उसका त्याग अनमोल है एक सैनिक का जीवन इस प्रेरक उद्धरण (Motivational Quotes) का बिलकुल सटीक उदाहरण प्रस्तुत करता है की 

                           "अपने लिए तो सब जीते है कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखो "

एक सैनिक केवल दूसरों के लिए जीता है। मैं शत-शत  नमन करती हूँ ऐसे भारत माँ के वीर सपूतों को । 
मेरी हैसियत तो नहीं है उन महान भारत माँ के सपूतों के बारे में लिखने की परन्तु फिर भी सैनिको के लिए मैं अपनी  कलम से कुछ शब्द लेकर आई हूँ। इसमें मैंने सैनिक के अंतर्मन में उमड़ते विचारों  को वर्णित करने का तुच्छ प्रयास किया है। 


सरहद पे बैठा गीत गुनगुनाता हूँ 

 

वतन की आबरू पे फ़ना, शहीद कहलाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

पिता का आशीष लेकर, चल पड़ा था द्वार से

माँ ने भी रास्ता सजाया, अश्रुओं की धार से 

बहन ने आँगन में आकर, ली बलायें प्यार से 

लाड़ो को बाँहो में भरकर, गाल सहलाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

संगिनी ने मुस्कुराकर , दिया हौसला उपहार में 

तुम वतन की आन रखना , मैं रहूँ परिवार में 

हर तरफ बस देश भक्ति , मिल रही संस्कार में 

बस वही हिम्मत का लावा, भुजाओं में भर लाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

मैं नहीं अकेला मुझ जैसे, न जाने कितने लाल यहाँ 

चलने न दे जो दुश्मन की, कोई भी तिरछी चाल यहाँ 

इस रज की कुछ बात अनोखी , सब मरने की होड़ लगाते हैं  

मैं भी उस पंक्ति में अपना, दाखिला करवाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

दुश्मन की अब तो खैर नहीं, हम लड़ जाएंगे अंतिम तक 

लहू की एक-एक बूँद का कतरा, बह जायेगा सरहद पर 

विजय हमारा मस्तक चूमेगी, भारत माता सहलाएगी 

शांत पड़ा मैं धरती परतिरंगे में लिपट कर आता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

मान बड़ा गोदी का, माता गर्व से माथा चूमती है 

धन्य हुआ वंशज ओ मेरे, बस पिता यही कह पाते है 

बहन की राखी का धागा, अब तक भी प्यार लुटाता है 

लाड़ली बिटिया की बोली अब, मैं नहीं सुन पाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 

संगिनी भी कर रही है, अब विदा अभिमान से 


हर तरफ मेरे ही प्यारे, हैं आखरी वरदान से 

अग्नि ने धारण किया ,मुझे पूर्णतः सम्मान से 

राख रज में जा मिली, मैं हिन्दुस्तान कहलाता हूँ 

अब भी सरहद पर मैं बैठा, गीत गुनगुनाता हूँ 


रचियता V.Nidhi 


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