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अनुपम नारी

                                                                    अनुपम नारी 


नारी एक अद्वितीय  व्यक्तित्व की धनी।  सहनशीलता में भूमि की तरह और रौद्र रूप में काली की तरह, प्रेम में प्रेमिका  की तरह, पूज्य में देवी की तरह, रूप में अप्सरा की तरह, नारी के मानसिक बल की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है।

 हर पुरुष नारी के बिना अधूरा है। देवता भी नारी के बिना अपने आपको अधूरा समझते है। इसलिए तो शिव ने अर्धनारीश्वर रूप लिया था । राधा के बिना कृष्ण अधूरे, सीता के बिना राम अधूरे। एक शब्द या एक दिन (नारी दिवस ) में नारी को परिभाषित नहीं किया जा सकता। नारी शक्ति की पराकाष्टा अनुपम है।  वैसे तो नारी का वर्णन करने के लिए शब्द बहुत छोटे पड़ जाते है। लेकिन मैंने कोशिश की है 


जीवन का आरम्भ है नारी 
प्रकृति का प्रारंभ है नारी 
हर युग और हर काल में पूजित
ईश्वर की अर्धांग है नारी 
नहीं मोल उसकी ममता का 
नहीं तोल उसकी क्षमता का 
रज भी छूले सोना कर दे 
ऐसा पारस पत्थर है नारी 
असंभव को संभव सा बना दे 
हर मुश्किल का मार्ग सुझा दे 
जीवन को एक नई  दिशा दे 
धन्य है तू हे अनुपम नारी 
धन्य है तू हे अनुपम नारी।।।।।

इस लघु कविता के माध्यम से मैं समाज को यह सन्देश देना चाहती हूँ की नारी का सम्मान प्रत्येक मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है नारी का अपमान किसी भी प्रकार से क्षमा के योग्य नहीं है इसलिए सभी से मेरा निवेदन है कि नारी का अपमान करने से पहले एक बार ये अवश्य सोच विचार कर ले कि सभी को नारी ने ही जन्म दिया है
इसलिए बेहतर देश और समाज के निर्माण के लिए नारी का आगे बढ़ना बहुत जरुरी है इसलिए जो भी ये कविता पढ़े वो संकल्प ले की नारी को सम्मान और बराबरी का अधिकार जरूर देगें।  

धन्यवाद 



   
रचियता V.Nidhi

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