वफ़ा की तलाश में
इक झूठे वादे की आस में, उसकी इक झलक की प्यास में
अब तक जी रही हूँ मैं, ज़िंदगी की तलाश में
कुछ पल, कुछ घंटे या कुछ दिन
पता नहीं ये साँसे कब रुक जाए तेरे बिन
मैं तो उम्मीद छोड़ चुकी हूँ साँसों से
ये फिर भी अभी चल रही है, कुछ नाकाम इरादों से
नहीं जानती ये ख्वाहिश कब हक़ीक़त होगी
लेकिन शायद उन्हें भी मेरी जरूरत होगी
बस यही सितम दुआ समझ के झेल रही हूँ,
मैं अब तक तेरे प्यार की बगिया में खेल रही हूँ
बहुत मुमकिन है ये खेल का आखिरी दाँव हो
शायद दुनिया के पार ही मेरे प्यार का गाँव हो
जब ये साँसे छोड़ देगी मेरी हसरतों को अधूरा
शायद तभी मेरा प्यार हो सकेगा पूरा
प्यार को पूरा करने मैं सपनों के गाँव जाऊँगी
घर के आँगन में एक प्यारी सी बगिया सजाऊँगी
तुम बगिया के फूलों से मिलने रोज आना
लेकिन उन फूलों की खुशबू को न चुराना
जो चुरा लिया तुमने मेरे आँगन खुशबू को
कैसे महक पायेगी मेरी खुशियों की बगिया वो
चलो एक काम करना बस मुझसे मिलने आ जाना
जो खुद ना आ सको तो भेजना एक महकता हवा का झोंका
मैं समझ जाऊँगी तुम तो यहीं मेरे पास हो
शायद इसी बहाने देख लूँ एक बार आईना
और जाने अनजाने में हो जायेगा तुमसे सामना
यदि कभी भी किया हो सच्चा प्यार जो मुझसे
तो एक बार जरूर देख लेना मुझे अपना समझ के
अगर कभी भी पलटकर देख लोगे तुम मुझे
तो मैं समझ लूँगी मेरी तलाश पूरी हो चुकी है
फिर उसी बगिया की कब्र में चुपचाप पडी रहूँगी तेरे लिए
तू भी लौट आना ज़िंदगी से लड़कर मेरे लिए।।
रचियता V.Nidhi
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