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विदाई के पल

 विदाई के पल

घर के बाहर जब डोली खड़ी देखी, तो लगा अब मेरी बेटी बड़ी हो गई 

मेरी उम्र भर की पूँजी जैसे, दो पल में ही खर्च हो गई 

अभी तो दुनिया में आई थी, माँ की गोद में समाई थी 

उसकी किलकारियाँ घर में, चारों ओर गुंजाई थी 

उसकी पहली मुस्कराहट ही तो, मेरे होंठों को हँसी दे गई

  अब मेरी बेटी बड़ी हो गई 

कुछ दिन ही तो बीते थे, जब उसने बैठना सीखा था 

सरक-सरक कर पास में आना, फिर घुटनों चलना सीखा था 

उसके नन्हें कदमों की वो दौड़, मेरे पैरों को भी गति दे गई 

  अब मेरी बेटी बड़ी हो गई

अभी कुछ दिन पहले से ही, ज़िद करना उसने सीखा था 

अब तो पूरे घर का नित दिन, नक्शा बिगड़ा करता था 

उसकी प्यारी सी वो बातें, जैसे घर में कोयल कूक रही 

     अब मेरी बेटी बड़ी हो गई 

घर से निकली स्क़ूल था जाना, रो-रो कर बुरा हाल था किया 

नहीं है जाना नहीं है पढ़ना, रोज़ तमाशा उसने किया 

उसकी वो नटखट सी हरकते, मेरे मन को भी छू गई 

       अब मेरी बेटी बड़ी हो गई

अभी तो बिटिया रानी का बस, थोड़ा कद बढ़ पाया था 

स्कूल के दिन अब ख़त्म हुए थे, कॉलेज का दिन आया था 

तभी अचानक उसने बताया, अरे पापा मैं  तो ग्रेजुएट हो गई

        अब मेरी बेटी बड़ी हो गई

कुछ दिन पहले मुझसे बोली, अब मैं आगे और पढूँगी   

नाम कमाकर पैसा कमाकर, आपकी अफसर बिटिया बनूँगी  

उसकी बड़ी-बड़ी सी बातें, मेरे मन को गर्व से भर गई 

         अब मेरी बेटी बड़ी हो गई 

बिटिया रानी की दुनिया में, मैं खुद था बालक सा बना 

पता नहीं कब कैसे उसके, रिश्ते का संजोग बना 

नहीं समझ पाया मैं तब तक, मेरे बिटिया सयानी हो गई 

अब मेरी बेटी बड़ी हो गई 

आज अचानक सामने आई, सज धजकर तैयार खड़ी 

सोच रहा था क्या सच-मुच में, मेरी बिटिया हुई बड़ी 

अभी तो उसने उँगली पकड़ी, क्यों पल में छुड़ा के जाती है 

अभी तो बेटी छोटी है ,इसलिए नखरे मनवाती है

 बेटियॉं जल्दी बड़ी होती है, कभी न माना मैंने सही  

घर के बाहर डोली देखकर, जान गया सच्चाई यही 

मेरे  जीवनभर की खुशियों को तू, ले जा अपने साथ सभी

जब भी पलटकर देखेगी तू, मैं मिलूँगा  खड़ा यहीं 

इतने में ही लिपट पड़ी वो, बोली अब मैं दूर चली 

पता नहीं कब आँखों से फिर, शुरू अश्रु की धार हुई 

उसकी डोली जाते देखकर, अब उम्र का एहसास हुआ 

आज अकेला खड़ा यहाँ पर, उसकी विदाई करता हुआ 

मेरे जन्मों की पूँजी वो, किसी और देश को चली गई 

लेकिन अब सच लगता है की, मेरी बेटी बड़ी हो गई... 

   

 

      
रचियता V.Nidhi 

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